ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये।
हंसने-रोने के 'अल्फाज़' बदल गये।
लफ्जो के मायने हो गये 'खुदगर्ज'।
बेहया हो गई आंखों की 'शर्म'।
जमीर का पैसा हो गया 'मर्ज'।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
हंसने-रोने के 'अल्फाज़' बदल गये।
लफ्जो के मायने हो गये 'खुदगर्ज'।
बेहया हो गई आंखों की 'शर्म'।
जमीर का पैसा हो गया 'मर्ज'।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
जवानी को निगल गया बेरहम नशा
मेहनत मोबाइल फोन का शिकार हो गई।
तरक्की अमीरों की 'रखैल' हो गई
शरीफ और गरीब चंद टुकडों को मोहताज़ हो गया।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
मेहनत मोबाइल फोन का शिकार हो गई।
तरक्की अमीरों की 'रखैल' हो गई
शरीफ और गरीब चंद टुकडों को मोहताज़ हो गया।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
सत्ता के दलालों के झुंड 'ईमानदार' हो गए।
लोकहित में डटे ईमानदार ऐलान दिए 'बेईमान'।
जनता की सहमी सी सांस भी 'दो नम्बर' हो गया।
सरकारी ज़बरदस्ती भी 'एक नम्बरी' कानून हो गई।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
ऐ बेरहम तेरे तो अल्फाज़ ही बदल गये।
लोकहित में डटे ईमानदार ऐलान दिए 'बेईमान'।
जनता की सहमी सी सांस भी 'दो नम्बर' हो गया।
सरकारी ज़बरदस्ती भी 'एक नम्बरी' कानून हो गई।
ज़िन्दगी तेरे अंदाज बदल गये...
ऐ बेरहम तेरे तो अल्फाज़ ही बदल गये।
झूठ 'शाह' हो गया, सच 'गुनाह' हो गया।
इस माहौल में सच्चा प्यार 'फनाह' हो गया।
'हवस' ज़िन्दगी का सबसे बड़ी 'परवाह' हो गया।
बदली देख मदमस्त तस्वीर समाज की
मौसम भी अपने मन की मौज में।
पता नही, क्या से क्या हो गया।
ज़िन्दगी तेरे जीने के अंदाज बदल गये...
ऐ बेरहम तेरे तो अल्फाज़ ही बदल गये।
इस माहौल में सच्चा प्यार 'फनाह' हो गया।
'हवस' ज़िन्दगी का सबसे बड़ी 'परवाह' हो गया।
बदली देख मदमस्त तस्वीर समाज की
मौसम भी अपने मन की मौज में।
पता नही, क्या से क्या हो गया।
ज़िन्दगी तेरे जीने के अंदाज बदल गये...
ऐ बेरहम तेरे तो अल्फाज़ ही बदल गये।
- इक़बाल सिंह 'शांत'
Waahhh kamaal lines 👌👌
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