21 December 2024

उस मिटटी में होंगे लीन, यहाँ से उठे कदम जन-आवाज बन कर जीवन भर गूंजते रहे

 -अंतिम संस्कार हेतु खेतों में बनाया जा रहा तीन फुट ऊँचा चबूतरा

-उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित विभिन राजनेता शामिल


इकबाल सिंह शांत

डबवाली: दशकों तक हरियाणवी राजनीति में क्षितिज के तारे की भांति चमकते रहे पूर्व मुख्य मंत्री ओम प्रकाश चौटाला का अंतिम संस्कार तेजाखेडा फार्म हाउस में उन खेतों में होगा, यहाँ की मिटटी से उठे उनके कदम प्रदेश के लाखों-करोड़ों लोगों की आवाज बन कर देश की सामाजिक व सियासी फिजा में गूंजते रहे। आज 21 दिसंबर को बाद दोपहर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से किया जायेगा। जिसके मद्देनजर परिवार के खेतो में बोई हुई गेंहू फसल पर हल चला कर भूमि को समतल किया जा रहा है। 


खेत में स्वर्गीय चौटाला के अंतिम संस्कार के लिए 50 फुट गुना 60 फुट का एक तीन फुट ऊँचा चबूतरा बनाया गया है। माना जा रहा की अंतिम संस्कार स्थल को बाद में यादगारी स्मारक/स्थल के तौर पर विकसित किया जायेगा। अंतिम संस्कार कार्यक्रम की तैयारियों के लिए डबवाली के विधायक आदित्य देवी लाल व चौटाला परिवार के सदस्य व वरिष्ठ इनेलो नेता संदीप चौधरी व अन्य पार्टी कार्यकर्ता जुटे हुएं हैं। गाँव चौटाला में उनके पार्थिव शरीर को दर्शनों हेतु रखे जाने के मद्देनजर वहां भी सुरक्षा व अन्य प्रबंध किये जा रहे हैं। 



सरकारी सम्मान के अंतर्गत अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन द्वारा चौटाला परिवार व इनेलो नेतृत्व के सहयोग से जरूरी कार्य युद्ध स्तर पर सम्पन्न किये जा रहे हैं। जिसके लिए पुलिस व विभिन्न सिविल विभागों की सरकारी स्तर पर ड्यूटीयां लगाई हैं।


सूत्रों के मुताबिक इस गमगीन अवसर पर किसानों के नेता का रुतबा रखते ‘बड़े’ चौटाला को अंतिम विदायगी व श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल विशेष तौर पहुंचेगे, वहीं देश के विभिन्न राज्यों से राजनेता व समाज के विभिन्न वर्गों से बड़ी हस्तियाँ चौटाला परिवार के सम्मानीय बुजुर्ग नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचेंगे


वरिष्ठ इनेलो नेता संदीप चौधरी ने बताया कि गमगीन अवसर पर अपने महबूब नेता के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों के पहुंचने की संभावना है, जिसके मद्देनजर परिवार के खेतो में हल चला कर पार्किंग व्हिक्लों के लिए स्थान बनाया जा रहा है।

बादल - चौटाला: राजनीति पर भारी थी मित्रता, जजपा की बजाय इनेलो से किया था गठ्बन्धन


 इकबाल सिंह शांत
डबवाली:
 
दशकों से चौटाला व बादल खानदान की आपसी पारिवारिक साँझ जगजाहिर है। हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री ओम प्रकाश चौटाला का पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से गहरा याराना था। दोनों एक-दुसरे के साथ अडिग चट्टान की भांति डटते थे। वे अक्सर गांव बादल में बड़े बादल से मुलाकात करने जाया करते थे। गत वर्ष प्रकाश सिंह बादल के देहांत से ओम प्रकाश चौटाला काफी आहत हुए थे। 

उनकी मित्रता की सबसे बड़ी मिसाल तब देखने को मिली जब इनेलो व जजपा के बिखराव के बाद पूर्व मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल व उनके पुत्र व अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने सियासी हितों को दरकिनार कर दिया था व अपने पारिवारिक रिश्तों की नैतिकता के चलते सियासी मंझधार में घिरे ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो से गठ्बन्धन को प्रमुखता दी थी। 


जजपा से गठ्बन्धन के सियासी दबाब के बावजूद शिरोमणि अकाली दल ने 2 अक्टूबर 2019 को देर रात्रि चंडीगढ़ में हुई पार्टी बैठक में इनेलो-अकाली दल के गठ्बन्धन का निर्णय में लिया गया था। जबकि उस समय सभी को जजपा का प्रत्यक्ष तौर पर पलड़ा भारी दिखाई दे रहा था। राजनीतिक परिदृश्य में राजनीति पर रिश्ते भारी पड़ने की ऐसी मिसाल शायद ही कहीं ओर देखने को मिले। 

जीते जी न कोई ‘चौटाला’ को डिगा सका, न कभी चौटाला किसी के समक्ष दबे

 -  बचपन में सरकारी स्कूल डबवाली के छात्र रहे थे, 

- डबवाली में आढत का करोबार भी कारोबार किया




 इकबाल सिंह शांत/93178-26100

डबवाली: 89 साल की उम्र में स्वर्गवास हुए चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के आभा मंडल ने हरियाणा की राजनीति को करीब छ: दशकों तक प्रभावित् किया। हालांकि उन्होंने दसवीं व बाहरवीं कक्षा को जीवन ने अंतिम वर्षों में उत्तीर्ण किया। वे बचपन में डबवाली के सरकारी स्कूल के छात्र भी रहे। उन्होंने गजब की भाषण शैली, वाकपुटता से आम व खास जनमानस पर गहरी छाप छोडी। उनकी राजनीती किसानों, कमरे वर्ग के हकों व हितों को समर्पित रही बहुत कम लोग जानते होंगे कि ओपी चौटाला ने राजनीति में प्रवेश से पूर्व युवा अवस्था के दौरान डबवाली की पुरानी अनाज  मंडी में लाला हंसराज के साथ सांझेदारी में आढत का कारोबार किया था। जो कि वर्षों तक बाखूबी सफलता से चला। उन दिनों में उनकी रिहायश भी डबवाली में उसी दुकान के चौबारे में हुआ करती थी थी।


जीवन अडिगता के लहजे से रहा लबोलब 

राजनीति के शिखर से लेकर मुश्किल समय तक में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का जीवन अडिगता के लहजे से लबोलब रहा। मानसिक व मनोबल के तौर पर जीते जी न कोई ‘बड़े’ चौटाला की डिगा सका, न कभी चौटाला किसी के समक्ष दबे। दस वर्ष की कानूनी सजा के बावजूद जनता में उनका निजी प्रभाव कायम रहा। ओम प्रकाश चौटाला का संघर्ष के बड़ा नजदीक से नाता रहा। पांच बार मुख्य मंत्री रहने के दौरान सियासी मुश्किलें ज्यादातर उनकी राह में अडचने डालती रहीं, परन्तु हर बार जननायक चौधरी देवी लाल के इस ज्येष्ठ सुपुत्र ने पूरी दृढ़ता व सूझबूझ से हर मुश्किल को सफलता से पार किया।


चौटाला के गहरे मित्रों में शुमार डा. गिरधारी लाल गर्ग बताते हैं

पूर्व मुख्य मंत्री के गहरे मित्रों में शुमार होते डबवाली वासी डा. गिरधारी लाल गर्ग बताते हैं कि चौटाला साहिब को हमेशा बात के धनी, बेहतरीन मित्र, उनकी दृढ़ निश्चयी व लौह-पुरुष के तौर पर जाना जायेगा। डा. गर्ग बताते हैं कि वह चौटाला परिवार में बड़ी अंदरूनी जद्दोजहद के बाद चौधरी देवी लाल के राजनैतिक वारिस बन सके थे। चौटाला पुत्रों में सियासी बिखराव के बाद चौटाला ने इनेलो को राजनीतिक तौर पर पुन: खड़ा करने के लिए भी भरपूर प्रयास किये।

 

तेज थी याददाश्त, लोगों को नाम व चेहरे से याद रखते थे

तेज याददाश्त के चलते चौटाला साहिब का उनका लोगों से सीधा संपर्क बना रहा। उनके नजदीकि जानकारों के मुताबिक पूर्व मुख्य मंत्री को उनके संपर्क में आये हजारों लोगों के नाम व चेहरे तक याद रहते थे। लंबे समय बाद भी पुन: मिलने पर वे लोगों को उनके तक से पुकारा करते थे। शरीर को तंदरुस्त रखने वाला हल्का खान-पान व सादा जीवन-शैली ने उन्हें जीवन के अंतिम दिनों तक तंदरुस्त रखा।

09 March 2024

पुलिस जिला डबवाली: 52 एस.पी.ओ. होंगे अस्थाई तौर पर भर्ती, प्रतिमाह मानदेय 20 हजार रूपये


डबवाली/बुलंद सोच ब्यूरो 
जिला पुलिस डबवाली द्वारा 52 एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) के पदों पर अस्थाई व मानदेय के आधार पर चयन किया जाएगा। जिन्हें 20

,000 रुपए प्रतिमाह मानदेय  एकमुश्त वर्दी भत्ता 3000 रुपए दिया जायेगा। भर्ती हेतू न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12 पास है। भर्ती प्रक्रिया में 25 से 50 वर्ष उम्र के अभ्यार्थी भाग ले सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रक्रिया में भारतीय सेना से सेवानिवृत सैनिक (एक्स सर्विसमैन)सीएपीएफ से सेवानिवृत कर्मीएच.आईएसएफ व एच.ए.पी. 2004 में सेवा मुक्त किये गये जवानों को प्राथमिकता दी जाएगी।

पुलिस अधीक्षक कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि चयनित एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) एक वर्ष की अवधि के लिए या नियमित आधार पर व्यक्तियों की नियुक्ति की तिथि तकजो भी पहले होतक नियोजित किया जाएगा।

प्रवक्ता के मुताबिक उक्त श्रेणीयों में उक्त पद पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति दिनांक 11 मार्च से 12 मार्च 2024 तक प्रात: 9 से सायं 5 बजे कार्यालयप्रबंधक पुलिस लाईन डबवाली (नजदीक थाना सदर डबवाली) में वर्तमान 2 फोटोमूल दस्तावेज व दो-दो सत्यापित प्रतियों सहित पहुंचें।

 

अन्य सेवा शर्ते:

1. भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने वाले सदस्य साथ में सर्विस/डिस्चार्ज बुक की मूल प्रति के साथ छाया प्रतिआयु प्रमाण-पत्र, 4 फोटो पासपोर्ट साईजचरित्र प्रमाण पत्रपहचान पत्रएस.सी, एस.टी. व बी.सी. प्रमाण पत्र इत्यादि दस्तावेज अवश्य साथ लेकर आएं।

2. एसपीओ को हरियाणा पुलिस के कांस्टेबलों के लिए लागू आकस्मिक अवकाश दिया जाएगा।

3. एसपीओ को कम अवधि के लिए आपात स्थितियों के दौरान हरियाणा राज्य में कहीं भी तैनात किया जा सकता है।

4. स्वयंसेवी एसपीओ अनुशासनहीनताकदाचार व कर्तव्य के असंतोषजनक प्रदर्शन या गैर-आवश्यकता के आधार पर एक वर्ष की अवधि से पहले किसी भी समय संबंधित पुलिस अधीक्षक द्वारा बिना कोई नोटिस जारी किए एक आदेश द्वारा हटाए जाने के लिए उत्तरदायी होंगे। बर्खास्तगी के इस आदेश के खिलाफ किसी भी वरिष्ठ या किसी न्यायालय के समक्ष कोई अपील नहीं होगी।

10 February 2024

ਮਹਿਰਾਜਪੁਰ ਮਾਈਨਰ: ਸਾਇਜ਼ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸਮੱਰਥਾ ਘਟਾਈ, ਅਖੇ ਰਕਬਾ ਘਟ ਗਿਆ, ਬੰਜਰ ਹੋਵੇਗਾ 20 ਹਜ਼ਾਰ ਏਕੜ ਰਕਬਾ

* ਡੇਢ ਫੁੱਟ ਡੁੱਘਾਈ, ਦੋ ਫੁੱਟ ਚੌੜਾਈ ਘਟਾਈ, ਸਮੱਰਥਾ 63.5 ਤੋਂ 60.83 ਕਿਊਸਿਕ ਕੀਤੀ

* ਕਿਸਾਨਾਂ ਦਾ ਦੋਸ਼: ਦਸ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਕਰੀਬ ਵੀਹ ਹਜ਼ਾਰ ਏਕੜ ਰਕਬਾ ਹੋਵੇਗਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ


ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ ਸ਼ਾਂਤ (93178-26100)

ਲੰਬੀ: ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਟੇਲਾਂ ’ਤੇ ਨਹਿਰੀ ਪਾਣੀ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ ਸਿਆਸੀ ਦਮਗਜਿਆਂ ਦੇ ਉਲਟ ਲੰਬੀ ਹਲਕੇ ਵਿੱਚ ਮਹਿਰਾਜਪੁਰ ਮਾਈਨਰ ਦਾ ਸਾਇਜ਼ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸਮੱਰਥਾ ਘਟਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਜਿਸਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਹੁੰਦੇ ਕਈ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਢਦੇ ਸ਼ੁਕਰਵਾਰ ਨੂੰ ਮਾਈਨਰ ਦੀ ਮੁੜ ਉਸਾਰੀ ਦਾ ਕਾਰਜ ਰੁਕਵਾ ਦਿੱਤਾ। ਕਿਸਾਨ ਮਾਈਨਰ ਦਾ ਪੁਰਾਣਾ ਸਾਈਜ਼ ਤੇ ਸਮੱਰਥਾ ਬਹਾਲ ਕਰਨ ਦੀ ਮੰਗ ਤਹਿਤ ਧਰਨਾ ਲਗਾ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ ਹਨ। 

ਜਾਣਕਾਰੀ ਮੁਤਾਬਕ ਮਾਈਨਰ ਦੀ ਮੁੜ ਉਸਾਰੀ ਤਹਿਤ ਕਰੀਬ ਫੁੱਟ ਤੋਂ ਡੇਢ ਫੁੱਟ ਬੈੱਡ (ਡੁੱਘਾਈ), ਲਗਭਗ ਦੋ ਤੋਂ ਤਿੰਨ ਫੁੱਟ ਚੌੜਾਈ ਘਟਾ ਕੇ ਬਣਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਪਹਿਲਾਂ ਮਾਈਨਰ ਦੀ ਸਮੱਰਥਾ 63.5 ਕਿਊਸਿਕ ਸੀ, ਹੁਣ ਇਸਦੀ 60.83 ਕਿਊਸਿਕ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। 

ਵਿਭਾਗੀ ਪੱਖ ਹੈ ਕਿ ਮਾਈਨਰ ਵਿੱਚੋਂ ਕਰੀਬ 11 ਸੌ ਏਕੜ ਖੇਤੀ ਰਕਬਾ ਦੂਜੇ ਮਾਈਨਰਾਂ ’ਤੇ ਸ਼ਿਫ਼ਟ ਹੋ ਗਿਆ। ਕਰੀਬ 15 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਲੰਬੇ ਮਾਈਨਰ ਨੂੰ ਕਰੀਬ 8 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਨਾਲ ਨਵੇਂ ਸਿਰਿਓਂ ਸੀਮਿੰਟਡ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਮਾਈਨਰ ’ਤੇ ਪਿੰਡ ਫਤਿਹਪੁਰ ਮਣੀਆਂ, ਸਹਿਣਾਖੇੜਾ, ਫਤੂਹੀਖੇੜਾ, ਸ਼ੇਰਾਂਵਾਲਾ, ਅਰਨੀਵਾਲਾ, ਫੁੱਲੂਖੇੜਾ, ਖੇਮਾਖੇੜਾ, ਆਧਨੀਆਂ, ਸਿੱਖਵਾਲਾ ਅਤੇ ਖੁੱਬਣ ਦੀ ਕਿਰਸਾਨੀ ਨਿਰਭਰ ਹੈ। 47 ਬੁਰਜੀਆਂ ਵਾਲੇ ਮਾਈਨਰ ਦੇ ਸਮੱਰਥਾ ਤੇ ਸਾਈਜ਼ ਘਟਣ ਨਾਲ 20 ਹਜ਼ਾਰ ਏਕੜ ਸਿੰਚਾਈ ਰਕਬਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਵੇਗਾ। ਕਿਸਾਨਾਂ ਮੁਤਾਬਕ ਇੱਥੇ ਟੇਲ ਸਮੇਤ ਕੁੱਲ 27 ਮੋਘੇ ਹਨ।

ਫਤਿਹਪੁਰ ਮਨੀਆਂ ਦੇ ਕਿਸਾਨ ਰਵਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ, ਗੁਰਮੀਤ ਸਿੰਘ, ਗੁਰਮੁੱਖ ਸਿੰਘ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ, ਪ੍ਰਤਾਪ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਭੁਪਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਨਹਿਰ ਵਿਭਾਗ ਦੇ ਰਕਬਾ ਘਟਣ ਦੇ ਤਕਨੀਕੀ ਪੱਖਾਂ ਨੂੰ ਝੂਠਾ ਦੱਸਦੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮਾਈਨਰ ਤੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਲਗਭਗ ਤਿੰਨ ਸੌ ਏਕੜ ਰਕਬਾ ਘਟਿਆ ਹੈ, ਕਿਸੇ ਅਬੁੱਝ ਸਿਆਸੀ ਹਿੱਤਾਂ ਖਾਤਰ 11 ਸੌ ਏਕੜ ਰਕਬਾ ਘਟਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਪਾਣੀ ਘਟਣ ਨਾਲ ਕਈ ਪਿੰਡਾਂ ਦੀ ਖੇਤੀ ਬੰਜਰ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ। 

ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਡੁੰਘਾਈ, ਚੌੜਾਈ ਤੇ ਉਚਾਈ ਘਟਾਉਣ ਨੂੰ ਮੌਜੂਦਾ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਤੀਹਰੀ ਮਾਰ ਦੱਸਦੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਬਕਾ ਅਕਾਲੀ ਸਰਕਾਰ ਸਮੇਂ ਮਾਈਨਰਾਂ ਦੀ ਉਚਾਈ ਵਧਾ ਕੇ 20 ਫ਼ੀਸਦੀ ਪਾਣੀ ਵਧਾਇਆ ਸੀ। ਉਸਦੇ ਉਲਟ ਆਪ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਮਾਈਨਰਾਂ ਵਿੱਚ ਓਵਰ ਫਲੋਅ ਘਟਾ ਦੇ ਦਸ ਫ਼ੀਸਦੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਜਿਸ ਨਾਲ ਮਾਈਨਰ ਟੁੱਟਣ ਦੇ ਮੌਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਮਾਈਨਰ ਦਾ ਪੱਧਰ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਕਾਫ਼ੀ ਉੱਚਾ ਹੈ। 

ਕਿਸਾਨ ਰਵਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮਾਈਨਰ ਨੂੰ ਹੇਠਿਓਂ ਕਰੀਬ ਦੋ ਫੁੱਟ ਤੱਕ ਉੱਚਾ ਅਤੇ ਉੱਪਰੋਂ ਉਚਾਈ ਘਟਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਖਦਸ਼ਾ ਜਾਹਰ ਕੀਤਾ ਕਿ ਮਾਈਨਰ ਨੂੰ ਛੋਟਾ ਕਰਨ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਸਰਕਾਰੀ ਸਾਜਿਸ਼ ਤਹਿਤ ਮੋਘਿਆਂ ਦਾ ਸਾਈਜ਼ ਘਟਾਏ ਜਾਣਗੇ। ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਚਿਤਾਵਨੀ ਦਿੰਦੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮੰਗ ਪੂਰੀ ਨਾ ਹੋਣ ਤੱਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਘਰਸ਼ ਜਾਰੀ ਰਹੇਗਾ, ਸੁਣਵਾਈ ਨਾ ਹੋਣ ’ਤੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਨੂੰ ਤਿੱਖਾ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ।

ਸਰਕਾਰੀ ਨੀਤੀ ਤਹਿਤ ਮਾਈਨਰ ਛੋਟਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ: ਐਸ.ਡੀ.ਓ.
ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨਹਿਰ ਵਿਭਾਗ ਦੇ ਐਸ.ਡੀ.ਓ. ਗੁਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਕਰੀਬ 11 ਸੌ ਏਕੜ ਰਕਬਾ ਪਾਣੀ ਘਟਣ ਕਰਕੇ ਮਾਈਨਰ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਨੀਤੀ ਮੁਤਾਬਕ ਛੋਟਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਸਮੱਰਥਾ ਘਟਣ ’ਤੇ ਮਾਈਨਰ ਟੁੱਟਣ ਬਾਰੇ ਉੁਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉੱਪਰ ਕਰੀਬ ਡੇਢ ਫੁੱਟ ਫ਼੍ਰੀ ਬੋਰਡ ਜਗ੍ਹਾ ਖਾਲੀ ਰੱਖੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਬਾਕੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮੰਗ ਸਰਕਾਰ ਪੱਧਰ ਦਾ ਮਾਮਲਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਮੰਗ ਬਾਰੇ ਉੱਚ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਜਾਣੂ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।  

   

14 January 2024

ਮਾਘੀ ਮੇਲਾ: ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਨਾਟ-ਉਤਸਵ ਨੇ ਦਿੱਤਾ, ਵਿਰਸੇ ਦੀ ਲੋਅ ਜਗਦੀ ਰੱਖਣ ਦਾ ਹੋਕਾ

               


 * ਡਾ. ਸਵਰਾਜਬੀਰ ਨੂੰ ਭਰੇ ਪੰਡਾਲ ਵੱਲੋਂ ਸਲਾਮ!

* ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨੀ ਬਣੀ ਖਿੱਚ ਦਾ ਕੇਂਦਰ

*  ਜਮਹੂਰੀ ਹੱਕਾਂ ਲਈ ਦਿੱਤਾ ਚਾਨਣ ਦਾ ਛੱਟਾ 

* ਪੰਜਾਬੀ ਪੱਤਰਕਾਰਤਾ ਦੀ ਮਟਕ ਭਰੀ ਤੋਰ ਲਈ

* ਕੇਵਲ ਧਾਲੀਵਾਲ ਅਤੇ ਇਕੱਤਰ 15,16 ਜਨਵਰੀ


ਬੁਲੰਦ ਸੋਚ ਬਿਊਰੋ

ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ: ਮੁਕਤਸਰ ਮਾਘੀ ਮੇਲੇ 'ਤੇ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਸੁਸਾਇਟੀ ਪੰਜਾਬ, ਮੁਕਤਸਰ-ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ ਜੋਨ ਵੱਲੋਂ ਪੰਜਾਬ ਲੋਕ ਸਭਿਆਚਾਰਕ (ਪਲਸ ਮੰਚ) ਅਤੇ ਲੋਕ- ਪੱਖੀ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਨਾਟਕਕਾਰ ਗੁਰਸ਼ਰਨ ਭਾਅ ਜੀ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰਦਿਆਂ 25ਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਤਿੰਨ ਰੋਜ਼ਾ ਨਾਟ ਉਤਸਵ ਦਾ 40 ਮੁਕਤਿਆਂ, ਮਾਈ ਭਾਗੋ, ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਨੂੰ ਸਿਜਦਾ ਕਰਦਿਆਂ ਹੋਇਆ ਆਗਾਜ਼ ।

ਤਿੰਨ ਰੋਜ਼ਾ ਨਾਟ- ਉਤਸਵ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦਿਨ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਸੁਸਾਇਟੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤਰਫੋਂ ਸਮਾਜਕ ਸਰੋਕਾਰਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਚਿੰਤਨਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਅਤੇ ਪੁਸਤਕ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਸੁਸਾਇਟੀ ਦੇ ਨੁਮਾਇੰਦੇ ਰਾਮ ਸਵਰਨ ਲੱਖੇਵਾਲੀ ਤੇ ਜ਼ੋਨ ਪ੍ਰਧਾਨ ਪ੍ਰਵੀਨ ਜੰਡ ਵਾਲਾ ਨੇ ਦਿੱਤਾ।

ਪੰਜਾਬ ਲੋਕ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਮੰਚ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਅਮੋਲਕ ਸਿੰਘ ਨੇ ਖਿਦਰਾਣੇ ਦੀ ਢਾਬ ਦੀ ਸਾਡੇ ਸਮਿਆਂ ਅੰਦਰ ਪ੍ਰਸੰਗਕਤਾ ਉਭਾਰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮਨੀਪੁਰ, ਪਹਿਲਵਾਨ ਕੁੜੀਆਂ ਸ਼ਾਹੀਨ ਬਾਗ, ਆਦਿਵਾਸੀ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਅੰਦਰ ਜੂਝਦੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਅਸਲ 'ਚ ਮਾਈ ਭਾਗੋ ਦੇ ਸਿਰਜੇ ਵਰਕਿਆਂ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਦਾ ਸਫ਼ਰ ਜਾਰੀ ਰੱਖ ਰਹੀਆਂ ਨੇ। ਉਹਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪੰਜਾਬੀ ਇਨਕਲਾਬੀ ਰੰਗ ਮੰਚ ਅਤੇ ਪੱਤਰਕਾਰਤਾ ਉੱਪਰ ਗਾੜ੍ਹੇ ਬੱਦਲ਼ ਮੰਡਲਾ ਰਹੇ ਹਨ ਪਰ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸਿਰਜਕ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਵੀ ਜਾਬਰ ਹਰਾ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ।

ਅਮੋਲਕ ਸਿੰਘ ਨੇ ਖੇਤੀ, ਸਨਅਤ, ਸਿੱਖਿਆ, ਸਿਹਤ, ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਅਤੇ ਜਮਹੂਰੀ ਹੱਕਾਂ ਉਪਰ ਦੇਸੀ ਬਦੇਸ਼ੀ ਕਾਰਪੋਰੇਟ ਘਰਾਣਿਆਂ ਦੇ ਚੌਤਰਫੇ ਹੱਲੇ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਫਿਰਕੂ ਫਾਸ਼ੀ ਮਾਹੌਲ ਦੇ ਬੱਦਲ਼ ਲੰਗਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਲੋਕ ਸੰਗਰਾਮ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਦਿੱਤਾ।

ਉਹਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪੰਜਾਬੀ ਟ੍ਰਿਬਿਊਨ ਦੇ ਸੰਪਾਦਕ ਡਾ. ਸਵਰਾਜਬੀਰ ਦੀ ਪੰਜਾਬੀ ਪੱਤਰਕਾਰਤਾ ਦੇ ਪਿੜ ਨੂੰ ਅਮਿੱਟ ਦੇਣ ਉਪਰ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਨਾਜ਼ ਕਰਨਗੀਆਂ।

ਉਹਨਾਂ ਆਪਣੀ ਤਕਰੀਰ ਵਿੱਚ ਜਿਹੜੇ ਕਾਲੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਿਕੰਜੇ ਕਸਣ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਫੜੇ ਬੁੱਧੀਜੀਵੀਆਂ ਦੀ ਰਿਹਾਈ ਲਈ ਆਵਾਜ਼ ਬੁਲੰਦ ਕਰਨ ਦਾ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਤਾੜੀਆਂ ਦੀ ਗੂੰਜ ਵਿੱਚ ਇਸਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ।

ਉਹਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਦਿਨ ਚਾਲੀ ਮੁਕਤਿਆਂ,ਮਾਈ ਭਾਗੋ, ਕੂਕਾ ਲਹਿਰ ਅਤੇ ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਦੀ ਲਾਸਾਨੀ ਭੂਮਿਕਾ ਉਪਰ ਨਾਜ਼ ਕਰਨ ਅਤੇ ਹਰ ਵੰਨਗੀ ਦੀ ਗੁਲਾਮੀ, ਦਾਬੇ, ਵਿਤਕਰੇ ਵਿਰੁੱਧ ਲੋਕ ਲਹਿਰ ਉਸਾਰਨ ਦਾ ਅਹਿਦ ਕਰਨ ਦੇ ਦਿਨ ਹਨ।

ਮਾਨਵਤਾ ਕਲਾ ਮੰਚ ਨਗਰ (ਪਲਸ ਮੰਚ) ਵੱਲੋਂ ਗੁਰਦਿਆਲ ਰੌਸ਼ਨ ਅਤੇ ਅਮੋਲਕ ਸਿੰਘ ਦੀ ਕਲਮ ਤੋਂ ਲਿਖੇ ਬੋਲਾਂ ਉੱਪਰ ਕੋਰੀਓਗ੍ਰਾਫੀਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕੁਲਵੰਤ ਕੌਰ ਨਗਰ ਦਾ ਲਿਖਿਆ ਜਸਵਿੰਦਰ ਪੱਪੀ ਦਾ ਨਿਰਦੇਸ਼ਤ ਨਾਟਕ 'ਚਿੜੀਆਂ ਦਾ ਚੰਬਾ' ਦੀ ਨਰਗਿਸ ਵੱਲੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਪੇਸ਼ਕਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ। 

ਲੋਕ ਸੰਗੀਤ ਮੰਡਲੀ ਜੀਦਾ (ਪਲਸ ਮੰਚ) ਦੇ ਜਗਸੀਰ ਜੀਦਾ ਵੱਲੋਂ ਲੋਕ ਬੋਲੀਆਂ ਅਤੇ ਸੁਖਦੇਵ ਮਲੂਕਪੁਰੀ ਵੱਲੋਂ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਸ਼ੋਅ ਅਤੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ। ਮੰਚ ਨੂੰ ਗੁਰਸ਼ਰਨ ਸਿੰਘ, ਗਦਰੀ ਦੇਸ਼ ਭਗਤਾਂ, ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸਾਥੀਆਂ, ਅਰੁੰਧਤੀ ਰਾਏ, ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਅਤੇ ਲੋਕ ਲਹਿਰ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਦਿੰਦੀਆਂ ਤਸਵੀਰਾਂ ਅਤੇ ਵਿਗਿਆਨਕ ਤੇ ਟੂਕਾਂ ਨਾਲ ਸਜਾਇਆ ਗਿਆ।

ਇਸ ਮੌਕੇ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਅਤੇ ਉਸਾਰੂ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਪੁਸਤਕ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨੀ ਵੀ ਲਗਾਈ ਗਈ। ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਕੈਲੰਡਰ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਖਿੱਚ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਬਣਿਆ ਰਿਹਾ। ਮੇਲੇ ਦੀ ਸਫ਼ਲਤਾ ਲਈ ਬਲਦੇਵ ਸਿੰਘ ਲੱਧੂਵਾਲਾ,ਬੂਟਾ ਸਿੰਘ ਵਾਕਫ਼, ਪਰਮਿੰਦਰ ਖੋਖਰ, ਗੁਰਮੀਤ ਭਲਵਾਨ, ਭੁਪਿੰਦਰ  ਵੜਿੰਗ ਦੇ ਨਾਲ਼ ਕਾਕਾ ਸਿੰਘ ਖੁੰਡੇ ਹਲਾਲ, ਅਜਾਇਬ ਸਿੰਘ ਕੋਠੇ ਅਬਲੂ, ਤਜਿੰਦਰ ਸੋਥਾ, ਜਗਦੀਸ਼ ਕਿੱਕਰ ਖੇੜਾ, ਸੰਜੇ ਕੁਮਾਰ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਡੈਮੋਕ੍ਰੇਟਿਕ ਟੀਚਰਜ਼ ਫਰੰਟ ਦੇ ਜਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਲਖਵੀਰ ਸਿੰਘ ਹਰੀਕੇ, ਜੀਵਨ ਸਿੰਘ, ਉਪਕਾਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਭਰਵਾਂ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ।

ਇਹ ਮੇਲਾ 16 ਜਨਵਰੀ ਤੱਕ ਨਿਰੰਤਰ ਚੱਲੇਗਾ। 15 ਤੇ 16 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਕੇਵਲ ਧਾਲੀਵਾਲ ਅਤੇ ਇਕੱਤਰ ਵੱਲੋਂ ਕ੍ਰਮਵਾਰ ਧਮਕ ਨਗਾਰੇ ਦੀ ਅਤੇ ਠੱਗੀ ਨਾਟਕ ਖੇਡੇ ਜਾਣਗੇ। ਗੀਤ ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਵਿਚਾਰਾਂ ਹੋਣਗੀਆਂ।

23 December 2023

डबवाली अग्निकांड: 'माय-बाप' ने नहीं, ‘कानून की देवी’ ने रखा 'सिर' पर 'हाथ'



मौत का बुलावा साबित हुआ था डीएवी स्कूल का वार्षिक समारोह, 442 चढ़े थे आग की भेंट

इकबाल सिंह शांत/93178-26100

डबवाली: 23 दिसंबर 1995 को घटित डबवाली अग्निकांड की त्रासदी 28 वर्ष बाद भी ज़हन में आते ही दिलों-दिमाग सिहर जाता है। एक ऐसा खौफनाक हादसा जिसमें महज़ चंद मिंटों की आग अपने पीछे सदियों के लिए दर्दनाक संताप छोड़ गई। दुनिया इस हादसे को सूरज-चंद के वजूद तक भूल नहीं पायेगी, डबवाली के शरीर पर आग के जख्म सदा नासूर के रूप में ताज़ा रहेंगे। अग्निकांड ने 1995 में करीब 41-42 हज़ार की आबादी वाले डबवाली में चंद मिनटों मे एक फीसदी आबादी को कम कर दिया था।



 हर तीसरे परिवार को प्रभावित किया

त्रासदी की आग ने डबवाली के लगभग हर तीसरे परिवार को प्रभावित किया। ‘काले’ व ‘बुरे’ शब्दों में कहा जाये तो ‘442 जनों के लिए मौत का बुलावा साबित हुआ था राजीव मैरिज पैलेस में आयोजित डीएवी स्कूल का वार्षिक समारोह।‘

 समारोह के दौरान  1 बजकर 47 मिनट पर मेन गेट के पास शार्ट-सर्किट हुआ था। जिसकी चिंगारी सिंथैटिक कपड़े से बने पंडाल पर जा गिरी। चंद सैकेंडों में ही इस चिंगारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया और पंडाल को अपनी लपेट में ले लिया। पंडाल में बैठे लोगों में जबरदस्त भगदड़ मच गई।

समारोह में मौजूद करीब 15 सौ लोगों में से 442 लोग हादसे की आग में झुलस कर काल का ग्रास बन गये। मृतकों में 258 बच्चे, 150 महिलाएं व 44 पुरुष शामिल थे। 150 सौ से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनमें से 22 दिव्यांग हो गये। बहुतेरे अपने चेहरा, हाथ, कान, नाक व टांगे तक गुआ दी, उनके लिए हादसे के नासूर बने जख्म उनके लिए पल-पल का दर्द बन चुके हैं। हादसे में बड़ी संख्या में मौतों के कारण बड़ी संख्या में परिवारों पर वजूद तक का संकट आ गया था। त्रासदी में कसूर भले किसी का भी रहा हो, उसका हिसाब कानूनी अख्तियारों ने वक्त-दर-वक्त किया। इसके बावजूद हादसे की आग से समाज व सरकारों ने सबक नहीं लिया।




कभी नीतियाँ आड़े आई, तो कहीं गैर-सुंदर चेहरा बने मुश्किल

दुखांत है कि मुश्किलों भरी आधी-अधूरी जिंदगी में अग्नि पीड़ितों को शारीरिक दिक्कतों के अतिरिक्त कानूनी लड़ाई के लिए दोहरा संघर्ष करना पड़ा। गत 28 वर्षों में तत्कालीन भजन लाल सरकार द्वारा प्रारंभिक इलाज व अंतरिम राहत के बाद देश-समाज की ‘जिंदा’ माय-बाप अर्थात केंद्र अथवा राज्य सरकार किसी स्तर पर अग्नि पीड़ितों के साथ खड़ी नजर नहीं आई। पीड़ितों को डबवाली अग्नि पीड़ित संघ व अधिवक्ता अंजू अरोड़ा की करीब 18 वर्षों की लंबी जद्दोजहद में कानून की देवी (पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय) ने पीड़ितों को इंसाफ दिया व डीएवी संस्था व हरियाणा सरकार से लगभग 46 करोड़ रुपये का मुआवजा का फैसला दिया। मुआवजे से आर्थिक सहारा तो मिला, परन्तु दिव्यांग हुए ज़रूरतमंद पीड़ितों को सरकार से रोजगार वाले हाथ व पांव नहीं मिल सके। उनके रोजगार के लिए कभी सरकारी नीतियाँ आड़े आई, तो कहीं पढ़े-लिखे अग्निपीड़ितों का सौ फीसदी झुलसा गैर-सुंदर चेहरा नौकरी में मुश्किल बन गया।



जगह नहीं बना सका वोटों का ‘दिव्यांग’ वजन 

राज्य सरकार के असहयोग के चलते पीड़ितों को इलाज के लिए बार-बार उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। हादसे के बाद बर्न यूनिट जैसे सरकारी आज तक वायदे वफा नहीं हुए। अग्नि पीड़ितों के मुताबिक शायद सरकार के कोटे में भावनाए/मुश्किलों से ज्यादा वोट बैंक की कद्र है। तभी उनके वोटों का ‘दिव्यांग’ वजन सरकार के मन में जगह नहीं बना सका। इसी कारण पौने तीन दशक के बाद आज तक अग्निकांड स्मारक को राज्य-स्तरीय दर्जा नहीं मिल सका। ताकि आगामी पीढियां स्मारक के जरिये अग्नि हादसों के प्रति जागरूक व चौकस हो सकें।


समय-समय पर करवाया साथ खड़े का अहसास

डबवाली क्षेत्र से प्रदेश राजनीति की स्थापित हस्तियों ने समय-समय पर अपने सामर्थ्य से अग्निकांड स्मारक व पीड़ितों के साथ खड़े का अहसास करवाया, परन्तु प्रदेश की ‘माय-बाप’ असल राज्य सरकार नीतिगत तौर पर कभी अग्नि पीड़ितों के साथ खड़ी नजर नहीं आई।


हादसे की सबसे 'प्रेरणास्पद' बात

खौफनाक अग्निकांड में भी कुछ प्रेरणास्पद पल घटित हुए। हादसे के बाद समूचा डबवाली क्षेत्र एक साथ खड़ा नजर आया, उस समय शहर भर में यहाँ के पेट्रोल पंपों पर घायलों को बड़े अस्पतालों में ले जाने को डीजल-पेट्रोल मुफ्त कर दिया गया था, वहीं टैक्सी गाड़ियाँ भी मुफ्त में चंडीगढ़, दिल्ली व लुधियाना तक घायलों को लेकर गई। हर कोई अपनी निजी जिंदगी को दरकिनार करके हफ्तों तक पीड़ित के इलाज के लिए उनके साथ खड़ा रहा। उस हादसे के मातमी माहौल से उभरने में शहर की आम जिंदगी को पूरा एक दशक लगा था।

 

(सभी चित्र साभार)



21 December 2023

हकीकत परख: मुख्यमंत्री व विधायक के सवाल-जवाब की; कागजों में सिंथेटिक ट्रैक है तो कागज़ों में खर्च भी करोड़ों हुये होंगे



- डबवाली के खेल स्टेडियम में चार सौ मीटर सिंथेटिक ट्रैक नहीं, बल्कि मिट्टी का ट्रैक

- किसके ‘गुड फेथ’ में ‘मनो’ ने पढ़ दिया सदन में ‘दू टूक’ जवाब?


इकबाल सिंह शांत

डबवाली:हरियाणा के मुख्य मंत्री-कम-खेल मंत्री मनोहर लाल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधायक अमित सिहाग एक सवाल के जवाब में बताते हैं कि डबवाली के श्री गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम में 400 मीटर सिंथेटिक ट्रैक बना है। जबकि सवालकर्ता डबवाली के विधायक अमित सिहाग ने मुख्य मंत्री के जवाब में हकीकत से सौ कोस का अंतर बताते हुए धरातल पर कोई सिंथेटिक ट्रैक न होने के खुलासा करके प्रदेश सरकार के कार्य तंत्र पर प्रश्न चिंह लगा दिया। 

विधानसभा में उठे मामले को दोनों पक्षों के दावों को परखने के लिए श्री गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम को पहुंचा गया तो वहां के हालात बद से बदतर मिले। स्टेडियम में चार सौ मीटर सिंथेटिक ट्रैक का नामोनिशान तो दूर वहां खिलाडियों के दौड़ने के लिए कच्चा ट्रैक भी ढंग से व्यवस्थित नहीं है। सुविधा के नाम पर पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है। इनडोर स्टेडियम के टूटे-फूटे दरवाजे, बिजली के टूटे हुए बोर्ड से लटकती नंगी तारें मौत को खुला बुलावा दे रही है।  हैरानीजनक तथ्य हैं कि प्रदेश के मुखिया को ऐसी गलत जानकारी किस रिकार्ड के आधार मुहैया करवाई गई।   

खेल स्टेडियम 1500 मीटर दौड़ के लिए प्रेक्टिस कर रहे नवयुवक कृष व अजय से पूछा गया कि विधान सभा में खुलासा हुआ है कि डबवाली के खेल स्टेडियम में 400 मीटर सिंथेटिक ट्रैक बना हुआ है, जिस पर नवयुवकों ने हैरानी ज़ाहिर करते कहा कि काश यह कथन सत्य होते। उन्हें नित्य-प्रति कच्चे ट्रैक पर प्रेक्टिस करनी पडती है। सिंथेटिक ट्रैक होता तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर के दौड़ मुकाबलों के काबिल बनने में आसानी होती। युवक रोहित, जगदीप व अभिषेक ने कहा कि यह नाम का स्टेडियम है, जिसकी दशा सुधारने पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि स्टेडियम में खेल प्रशिक्षक तो दूर कोई चौकीदार तक नहीं है, यहाँ के टूटे-फूटे, दीमक व सीलन से अटे पड़े कमरों में नशेडियों की महफ़िलें सजती हैं। 


सिंथेटिक ट्रैक नहीं, सिर्फ मिट्टी का ट्रैक है : डीएसओ

श्री गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम के 400 मीटर सिंथेटिक ट्रैक की खेल विभाग में हकीकत परखने पर जिला खेल अधिकारी शमशेर सिंह ने बताया कि डबवाली के खेल स्टेडियम में सिंथेटिक ट्रैक नहीं है, वहां तो मिट्टी का ट्रैक है, स्टेडियम में मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत 25 गुना 25 मीटर का स्विमिंग पूल बनेगा। अधिकारी ने बताया कि पिछले समय में पहले स्विमिंग पूल बनने की आवाजें उठी थी। तत्कालीन उपायुक्त व डीएसओ ने स्विमिंग पूल को लिखती तौर अनुचित करार दिया था। फिर एथेलेटिक्स ट्रैक की बात चली, फिर उसकी भी न हो गई। उसके बाद बीस कमरे व हॉल की बात चली, वो भी कैंसिल हो गई। अब दुबारा स्वीमिंग पूल ही फाइनल कर दिया।


जांच का विषय: कागजों में सिंथेटिक ट्रैक है, तो कागज़ों में खर्च भी करोड़ों हुये होंगे 

बड़ा संगीन मामला है कि विधानसभा में विधायक द्वारा पूछे सवाल पर खेल विभाग/मुख्य मंत्री कार्यालय में से प्रदेश के मुख्यमंत्री को गलत जानकारी मुहैया करवाई। हकीकत में सरकार द्वारा जिसका धरातल पर कोई वजूद कायम नहीं किया गया है, वह सरकारी रिकार्ड में निर्मित दिखाया गया है। जिसका जवाब ‘गुड फेथ’ में मुख्य मंत्री-कम-खेल मंत्री ने अधिकारियों द्वारा लिखित में आये जवाब को दू टूक सदन में पढ़ दिया व विधायक के जवाब से उन्हें सदन में अपने शब्दों में फीका पड़ना पड़ा। जाँच का विषय है कि यदि सरकारी रिकार्ड में डबवाली के श्री गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम में 400 मीटर सिंथेटिक ट्रैक बना हुआ है तो उस पर लाखों-करोड़ों रूपये भी खर्च हुए होंगे। उसके बही-खाते खंगालने भी लाजमी है, इससे भी बड़ा सवाल है यदि यहाँ ऐसा हुआ तो ओर भी बहुत मामले होंगे, जिनमें सिर्फ कागजों में विकास कार्य हुये और उनकी धरातल हकीकत से जमीन से अनजान व वीरानी है। 

मो: 93178-26100

04 November 2023

'उधम' का रुतबा 'खास': सवा लाख 'आम' व 'ख़ास' चखेंगे व्यंजनों का स्वाद, इनेलो दिखाएगी सियासी 'दम-खम'



- 16 एकड़ में लगा पंडाल, 150 हलवाई दर्जनों व्यंजन बनाने में जुटे 
- आज सिरसा जिला व रिश्तेदार, कल हरियाणा भर से शामिल होंगे एक लाख लोग 


* इकबाल सिंह शांत 

डबवाली: जननायक की पांचवीं पीढ़ी के वंशज उधम सिंह चौटाला का अपना खास रुतबा हो चला है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के इस ‘ज्येष्ठ’ पड़पौत्र के कुआं पूजन समारोह में करीब सवा लाख लोग देसी घी के दर्जनों व्यंजनों का स्वाद चखेंगे। 

शनिवार से तेजाखेडा फार्म हाउस में हर्षोउल्लास से भरे दो दिवसीय समारोह में चौटाला परिवार के सामाजिक व इनेलो के सियासी दम-खम की परंपरागत झलक देखने को मिलेगी। जानकारी के मुताबिक चौधरी ओम प्रकाश चौटाला व बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह सहित घर के बड़े बुजुर्ग रिश्तेदार उधम को विशेष तौर पर आशीर्वाद देने के मौजूद रहेंगे। सियासी विश्लेषक के मुताबिक हर्षोउल्लास भरे समारोह को इनेलो की सत्ता से लंबी दूरी के बावजूद जमीनी स्तर पर जनआधार दर्शाने की सियासी कवायद का हिस्सा भी माना जा रहा है। 

घर में ‘तूफ़ान मेल’ के नाम से बुलाये जाते महज 11 माह के उधम चौटाला के दादा अभय सिंह चौटाला, पिता अर्जुन चौटाला व ताऊ कर्ण चौटाला द्वारा प्रदेश के प्रमुख सियासी लोगों से लेकर हजारों खास व आम को न्योता दिया गया है। 

आज 4 नवंबर (शनिवार) को परिवारक रिश्तेदारों व सिरसा जिला के करीब 25 हजार लोगों व कार्यकर्तायों के लिए प्रीतिभोज रखा गया है, जबकि 5 नवंबर (रविवार) को हरियाणा भर से लगभग एक लाख लोग कुआं पूजन समारोह में शिरकत करेंगे। अतिथियों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के रोहतक के 150 हलवाईयों की टीम बड़ी मशक्कत से जुटी है। लगभग राजसी ताम-झाम वाले समारोह के लिए 16 एकड़ में पंडाल लगाया गया है। जबकि 25 एकड़ रकबे में अतिथियों के व्हीकलों की पार्किंग व्यवस्था की गई है। डबवाली जिला पुलिस के प्रमुख सुमेर सिंह ने बताया कि समारोह में पहुंचने वाले वीआईपीज की आमद के बारे में अभी तक ऑफिसियल निर्देश नहीं आये हैं। 


ओम प्रकाश धनखड़ शुभकामनाएं पहुंचे 



भाजपा के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय सचिव औम प्रकाश धनखड़ शुक्रवार को देर सायं गांव चौटाला में चौ. अभय सिंह चौटाला के पौत्र उधम चौटाला के कुआं पूजन की शुभकामनाएं देने पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. ओम प्रकाश चौटाला से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना। इस अवसर पर नन्हें उधम सिंह चौटाला को आशीर्वाद भी दिया। श्री धनखड़ ने करीब एक घंटा तेजाखेड़ा फार्म पर भी बिताया और काफिले के साथ राजस्थान रवाना हो गए। इस अवसर पर गौरव मोंगा, सुनील डूडी, प्रदीप गोदारा, कुलदीप गोदारा, प्रताप सिंह पूर्व ओएसडी, अजनीष कैनेडी सहित कई अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।


परिवहन व्यवस्था का जिम्मा संभालेंगे युवा कार्यकर्ता 

अतिथियों के हजारों व्हीकलों की आमद के मद्देनजर बकायदा ‘हेल्प डेस्क’ कायम की गई। परिवहन व्यवस्था का जिम्मा इनेलो युवा कार्यकर्ता व गाँव वासी संभालेंगे। समारोह के लिए बकायदा रूट प्लान भी जारी किया गया है। पार्किंग व्यवस्था को सुचारू बनाने हेतू युवा कार्यकर्ता बकायदा मोटर साइकिलों पर गतिशील रहेंगे। वरिष्ठ इनेलो नेता संदीप चौधरी बताते है कि समारोह में व्हीकलों की आमद गाँव आसाखेडा के रास्ते होगी, जबकि वापसी के लिए गाँव तेजाखेडा के जरिये रास्ता तय किया गया है।

17 February 2023

डबवाली में एस.डी.एम. तैनाती में हमेशा ‘तंगदिल’ रही खट्टर सरकार


ट्टर सरकार के 3034 दिनों में 15 एस.डी.एम. रहे तैनातसिर्फ़ 3 कर सके 1 वर्ष पूरा

 - आठ वर्षों से उपमंडल का कार्य तंत्र धीमी चाल में


 - डबवाली व ओढां में बी.डी.पी.ओ के पद भी खाली 

 

इकबाल सिंह शांत

डबवाली: उपमंडल डबवाली में उपमंडल अधिकारी ना. (एस.डी.एम.) की तैनाती के मामले में हरियाणा सरकार का हाथ हमेशा तंगदिली वाला रहा है। सूबा सरकार द्वारा बीते कल जारी आई..एस और एच.सी.एस अधिकारियों की तबादला सूची में डबवाली के हिस्से में कोई एस.डी.एमनहीं आया। अन्तर्राज्यीय त्रिवेणी पर स्थित उपमंडल में एस.डी.एमका पद दो जनवरी 2023 को एस.डी.एमशंभू राठी के तबादले के उपरांत खाली पड़ा है। सिरसा के सी.टी.एम अजय कुमार जांगड़ा को दिया अतिरिक्त प्रभार प्रभार भी गत फरवरी 2023  को समाप्त हो चुका है। अब डबवाली उपमंडल पूरी तरह प्रशासनिक छत्रछाया से महरूम है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अब तक 3034 दिनों के कार्यकाल में एस.डी.एमडबवाली का पद लगातार तबादलों का शिकार रहा है। उपमंडल को मनोहर लाल सरकार में 15 एस.डी.एममिले हैं। जिनमें से पाँच एस.डी.एम. 100 दिन से भी कम तक तैनात रहे सके। जिनमें संजय कुमार (महज़ 69 दिन), अश्वनी कुमार (महज़ 43 दिन), सतीश कुमार ( महज़ 24 दिन), निर्मल नागर (महज़ 21 दिनऔर शंभू राठी ( महज़ 97 दिनशामिल हैं। यहाँ सिर्फ़ तीन आधिकारी संगीता तेतरवाल आई..एस. (473 दिन), अश्वनी कुमार (371 दिनऔर राजेश पूनिया (407 दिनबतौर एस.डी.एमएक वर्ष का कार्यक्रम पूरा करने में सफल रहे। जबकि एच.सी.एसअधिकारी सुरेश कस्वां (298 दिन), रानी नागर (232 दिन) व विनेश कुमार (332 दिनडबवाली उपमंडल में सेवाएं निभा सके। पिछले सवा आठ वर्षों में एस.डी.एम. की कम समय की तैनाती व जल्दी तबादलों के चलते क्षेत्र के विकास को सही दिशा नहीं मिल सकी। डबवाली के साथ प्रशासनिक अनदेखी का मामला सिर्फ यहाँ तक सीमित नहीं हैं, उपमंडल के अधीन पड़ते डबवाली व ओढां ब्लाकों में भी ब्लॉक विकास एवं पंचायत अधिकारी के पद भी खाली पड़ें हैं। इन पदों पर भी अतिरिक्त प्रभार से वक्त निकाला जा रहा है। एस.डी.एम. कार्यालय में विशेषकर व्हीकल रजिस्ट्रेशन व सिविल सर्विसेज स्तर के अधिकारियों द्वारा निपटाए जाने वाले उपमंडल स्तरीय मामले लटके रहते हैं। हर बार तैनात उपमंडल अधिकारी (ना.) अपने जल्दी तबादले का ख़ौफ़ दर्शा कर ज़मीन से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों पर कार्यवाही से कन्नी कतरा जाते हैं। पहले भाजपा सरकार और अब भाजपा-जजपा सरकार में भी डबवाली के लिए प्रशासनिक तैनाती पक्ष में कोई सुधार नहीं आया। उपमंडल अधिकारी (ना.) की बार-बार की तबादलेबाज़ी के कारण तहसील और दूसरे दफ्तरों में भ्रष्टाचार चरम सीमा और प्रशासनिक ख़ौफ़ 'ज़ीरो' (0) तक पहुँच गया है। उपमुख्य मंत्री दुश्यंत चौटाला के पारिवारिक गढ़ डबवाली को प्रशासनिक 'चौधर’ से आधा-अधूरा रखना कोई राजनैतिक इशारों की ओर अनगित करता है।

 दूसरी तरफ़ डबवाली के कांग्रेसी विधायक अमित सिहाग ने कहा कि उन्होंने डबवाली में उपमंडल अधिकारी (ना.) की तैनाती के बारे में जनवरी माह में मुख्यमंत्री हरियाणा को पत्र लिखा था। अब तक तैनाती न होने पर मुद्दा विधानसभा सैशन में उठाया जायेगा। 

मोबाइल: 93178-26100

28 September 2022

'ਸਣੇ ਸਫਾਰੀ ਚੱਕਾਂਗੇ ਹੁਣ ਵੱਡੇ ਮਿਰਜੇ ਨੂੰ' ਗੀਤ ਲਿਖਣ ਵਾਲਾ 'ਸੀਰਾ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ' ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ


ਸੀਰੇ ਨੂੰ ਖੁੱਲ੍ਹਮ-ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਗਿਲਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੇ ਲਿਖੇ ਹੋਏ ਮਕਬੂਲ ਗੀਤਾਂ ਨਾਲ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਗਾਇਕ ਕਰੋੜਾਂ ਰੁਪਏ ਕਮਾ ਗਏ। ਜਦਕਿ ਉਸਦੇ ਪੱਲੇ ਕੱਖ ਵੀ ਨਹੀਂ ਪਿਆ.......


ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ ਸ਼ਾਂਤ

ਡੱਬਵਾਲੀ: ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਗਾਇਕਾਂ ਦੀ ਗਾਇਕੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਨਿਖਾਰਨ ਵਾਲਾ ਨਾਮੀ ਗੀਤਕਾਰ ਸੀਰਾ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ ਅੱਜ ਬੇਵਕਤੀ ਜਹਾਨੋਂ ਤੁਰ ਗਿਆ। ਉਸਨੂੰ 27 ਸਤੰਬਰ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਘਰ ਪਿੰਡ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ-ਫਤੂਹੀਵਾਲਾ ਵਿਖੇ ਖੂਨ ਦੀ ਉਲਟੀ ਆਈ। ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਉਸਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ। ਇਸ ਅਚਨਚੇਤੀ ਭਾਣੇ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬੀ ਸੰਗੀਤ ਜਗਤ ਵਿੱਚ ਦੁੱਖ ਦੀ ਲਹਿਰ ਫੈਲ ਗਈ ਹੈ।

ਗਰੀਬ ਘਰ 'ਚ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਕਰੀਬ 35-36 ਸਾਲਾ ਸੀਰਾ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ ਨੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਗੀਤਕਾਰੀ 'ਚ ਲੰਮਾ ਪੈਂੜਾ ਤੈਅ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਉਸਦਾ ਬਾਈ ਅਮਰਜੀਤ ਦੀ ਐਲਬਮ ਹੀਰੋ ਵਿੱਚ 'ਕਾਲੀ ਜਿਪਸੀ ਨੂੰ ਹੱਥ ਕਿਹੜਾ ਪਾਊ' ਪਹਿਲਾ ਗੀਤ ਰਿਕਾਰਡ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਫਿਰ ਬਾਈ ਅਮਰਜੀਤ ਅਤੇ ਮਿਸ ਪੂਜਾ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਵਿੱਚ 'ਸਣੇ ਸਫਾਰੀ ਚੱਕਾਂਗੇ ਹੁਣ ਵੱਡੇ ਮਿਰਜੇ ਨੂੰ...' ਅਤੇ 'ਟੀਚਰ ਲੱਗੀ ਏ ਸਰਕਾਰੀ ਵੇ ਤੂੰ ਐਸ਼ ਕਰੇਂਗਾ...'ਆਦਿ ਗੀਤ ਆਏ। ਸੀਰਾ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ ਵੱਲੋਂ ਲਿਖਿਤ ਗੀਤ 'ਓਸੇ ਖੂਹ ਤੇ ਲਾਸ਼ ਲਟਕਦੀ ਵੇਖੀ ਮੈਂ' ਨੂੰ ਗਾਇਕ ਰਾਣਾ ਸੰਧੂ ਨੇ ਗਾਇਆ।

* ਮਕਬੂਲੀਅਤ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਤਰੱਕੀ ਦੇ ਸਿਖ਼ਰ ਜੂਝਦਾ ਰਿਹਾ

ਉਸਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਝਲਕ ਅਤੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਵਰਗ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਤੇ ਵਿੱਥਿਆ ਝਲਕਦੀ ਰਹੀ। ਉਹ ਆਖਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ਕਿ ਜਦੋਂ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ 'ਚ 70 ਫ਼ੀਸਦੀ ਲੋਕ ਕਿੱਤੇ ਪੱਖੋਂ ਮਜ਼ਦੂਰ ਹੋਣ ਤਾਂ ਟਰੈਕਟਰਾਂ ਦੇ ਟੋਚਣ ਅਤੇ ਆਡੀ ਗੱਡੀਆਂ ਨਾਲੋਂ ਵੱਧ ਇਸ ਵਰਗ ਦੀ ਗੱਲ ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਸੱਥ ਅਤੇ ਹਰ ਸਟੇਜ਼ 'ਤੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਵਰਗ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਬਾਰੇ ਜ਼ਰੂਰ ਕਰਦਾ ਸੀ। ਉਸਦੇ ਕੋਲ ਗੀਤਾਂ ਅਤੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਖਜ਼ਾਨਾ ਭਰਪੂਰ ਰਿਹਾ। ਉਸ ਵੱਲੋਂ ਲਿਖੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਗਾਣਿਆਂ 'ਚੋ ਕਾਫ਼ੀ ਗਾਣੇ ਬੇਹੱਦ ਮਕਬੂਲ ਹੋਏ, ਪਰ ਉਹ ਤਰੱਕੀ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਸਿਖ਼ਰ ਲਈ ਜੀਵਨ ਦੇ ਅਖ਼ੀਰਲੇ ਪਲਾਂ ਤੱਕ ਸੰਘਰਸ਼ ਅਤੇ ਗਰੀਬੀ ਨੂੰ ਹੰਢਾਉਂਦਾ ਰਿਹਾ।

ਸੀਰੇ ਨੂੰ ਖੁੱਲ੍ਹਮ-ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਗਿਲਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੇ ਲਿਖੇ ਹੋਏ ਮਕਬੂਲ ਗੀਤਾਂ ਨਾਲ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਗਾਇਕ ਕਰੋੜਾਂ ਰੁਪਏ ਕਮਾ ਗਏ। ਜਦਕਿ ਉਸਦੇ ਪੱਲੇ ਕੱਖ ਵੀ ਨਹੀਂ ਪਿਆ। ਕੁੱਝ ਵਰ੍ਹੇ ਪਹਿਲਾਂ ਉਸਦੇ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੇ ਦੌਰਾ ਪੈਣ 'ਤੇ ਮਹਿੰਗੇ ਇਲਾਜ਼ ਲਈ ਉਸਨੇ ਕਈ ਗਾਇਕਾਂ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਕੀਤਾ ਪਰ ਕਿਸੇ ਨੇ ਉਸ ਵੱਲ ਮੱਦਦ ਵਾਲਾ ਨਹੀਂ ਵਧਾਇਆ।

* ਉਸਦੇ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮਜ਼ਦੂਰ ਵਰਗ ਦੀ ਵਿੱਥਿਆ ਝਲਕਦੀ ਰਹੀ

ਉਹ 2004 ਤੋਂ ਕਈ ਵਰ੍ਹਿਆਂ ਤੱਕ ਚਿਣਾਈ ਮਿਸਤਰੀ ਵਜੋਂ ਰੋਜ਼ੀ ਰੋਟੀ ਖਾਤਰ ਦੁਬਈ ਵਿੱਚ ਰਿਹਾ। ਬਾਈ ਅਮਰਜੀਤ ਵੱਲੋਂ ਪਹਿਲਾ ਰਿਕਾਰਡ ਹੋਇਆ ਗੀਤ 'ਕਾਲੀ ਜਿਪਸੀ ਨੂੰ ਹੱਥ ਕਿਹੜਾ ਪਾਊ' ਨੂੰ ਵੀ ਉਸਨੇ ਦੁਬਈ 'ਚ ਲਿਖਿਆ ਸੀ। ਉਸਦੇ ਭਰਾ ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕੁੱਝ ਮਹੀਨੇ ਪਹਿਲਾੇਂ ਗੁਰਦਿਆਂ ਅਤੇ ਲੀਵਰ ਦੀ ਦਿੱਕਤ ਹੋਈ ਸੀ। ਇਲਾਜ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਬਾਅਦ ਤੰਦਰੁਸਤ ਸੀ। ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ ਅਚਨਚੇਤ ਖੂਨ ਦੀ ਉਲਟੀ ਆਈ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਉਪਰੰਤ ਉਸਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ।

ਅੰਤਮ ਸਸਕਾਰ ਮੌਕੇ ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ ਦੇ ਸ਼ਮਸ਼ਾਨ ਘਾਟ 'ਚ ਗਰੀਬਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਕਲਮੀ ਅਵਾਜ਼ ਨੂੰ ਗਮਗੀਨ ਅਤੇ ਸੇਜਲ ਅੱਖਾਂ ਨਾਲ ਅੰਤਮ ਵਿਦਾਇਗੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਇਲਾਕੇ ਵਿੱਚੋਂ ਢਾਈ-ਤਿੰਨ ਸੌ ਲੋਕ ਮੌਜੂਦ ਸਨ। ਬੇਹੱਦ ਮੰਦਭਾਗਾ ਹੈ ਕਿ ਸੀਰੇ ਦੀ ਕਲਮ ਨਾਲ ਮਕਬੂਲ ਹੋਏ ਨਾਮਚੀਨ ਗਾਇਕਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਉਸਦੀ ਅੰਤਮ ਵਿਦਾਇਗੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਨਹੀਂ ਸੀ।


#ਸੀਰਾ_ਸਿੰਘੇਵਾਲਾ  #ਗਾਇਕ #ਗੀਤਕਾਰ #Seera Singhewala


04 August 2022

ਲੋਕਪੱਖੀ ਬਦਲਾਅ! : ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੁਵਿਧਾ ਵਾਲੇ ਸਰਕਾਰੀ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ 'ਨਿੱਜੀ ਹੱਥਾਂ' ਵੱਲੋਂ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਲੁੱਟ


- ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਤੋਂ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਲਈ ਵਸੂਲੇ ਜਾ ਰਹੇ 25 ਤੋਂ 70 ਰੁਪਏ

- 12 ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ 36 ਸੌ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲ ਚੁੱਕੀ ਔਸਤਨ 1.08 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਦੀ ਮਹਿੰਗੀ ਸੁਵਿਧਾ


ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ ਸ਼ਾਂਤ

ਲੰਬੀ: ਲੰਬੀ ਹਲਕੇ 'ਚ ਲੱਗੇ ਰਹੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੁਵਿਧਾ ਕੈਂਪ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਤੋਂ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਦੀ ਭਾਰੀ ਰਕਮ ਵਸੂਲ ਜਾਣ ਕਰਕੇ ਵਿਵਾਦਾਂ 'ਚ ਘਿਰ ਗਏ ਹਨ। ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ਵੱਲੋਂ 'ਸਿਆਸੀ ਚਿਹਰਿਆਂ' ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਲੱਗਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਲਈ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਤੀ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਲਈ 25 ਰੁਪਏ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 70 ਰੁਪਏ ਦੀ ਵਸੂਲਣ ਦੀ ਕਥਿਤ ਘਪਲੇਬਾਜ਼ੀ ਨਸ਼ਰ ਹੋਈ ਹੈ।

ਸੁਵਿਧਾ ਕੈਂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੀਬ ਪੰਜ ਗੁਣਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਕੀਮਤ ਵਸੂਲੇ ਅਤੇ ਲਗਪਗ ਮੁਫ਼ਤ ਕੀਮਤ ਵਾਲੇ ਫਾਰਮਾਂ ਦੀ ਕੀਮਤ ਵਸੂਲਣ ਖਿਲਾਫ਼ ਲੋਕਾਂ 'ਚ ਭਾਰੀ ਰੋਸ ਹੈ। ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਸਰਕਾਰੀ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ ਪ੍ਰਾਈਵੇਟ ਵਿਅਕਤੀ ਖੁੱਲ੍ਹੇਆਮ ਬੈਠ ਕੇ ਫਾਰਮਾਂ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਦੀ ਮੋਟੀ ਫੀਸ ਵਸੂਲਦੇ ਹਨ। ਵੱਡੀ ਹੈਰਾਨੀ ਹੈ ਕਿ ਬੀ.ਡੀ.ਪੀ.ਓ ਦਫ਼ਤਰ ਲੰਬੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਦਫ਼ਤਰ ਤੱਕ ਇਨ੍ਹਾਂ ਫਾਰਮ/ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਵਾਲੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੁਵਿਧਾ ਤੋਂ ਅਨਜਾਨਤਾ ਜਾਹਰ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਫਿਰ ਸਰਕਾਰੀ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ ਕਿਸਦੀ ਪੁਸ਼ਤਪਨਾਹੀ ਹੇਠ ਮਹਿੰਗੀ ਸੁਵਿਧਾ ਵਾਲੀ ਨਿੱਜੀ ਦੁਕਾਨਦਾਰੀ ਚੱਲ ਰਹੀ ਹੈ। ਹਰੇਕ ਕੈਂਪ 'ਚ ਪੰਜ-ਦਸ ਗੁਣਾ ਮਹਿੰਗੀ ਸੁਵਿਧਾ ਵਾਲੀ ਟੀਮ ਲਗਾਤਾਰ ਪੁੱਜ ਰਹੀ ਹੈ। ਲੰਬੀ ਹਲਕੇ 'ਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਸੁੱਤਾ ਪਿਆ ਹੈ ਜਾਂ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਹੇਠਲੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਚੰਦ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੀ ਬੇਰਜ਼ੁਗਾਰੀ ਦੂਰ ਕਰਨ ਦੀ ਰਾਹ ਪਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਹ ਪੜਤਾਲ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਹੈ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ ਪੈਨਸ਼ਨ, ਦਿਵਿਆਂਗ ਸਰਟੀਫਿਕੇਟ, ਪੋਸ਼ਣ ਅਭਿਆਨ ਸਬੰਧੀ, ਲੇਬਰ ਕਾਰਡ, ਸ਼ਗਨ ਸਕੀਮ, ਸਮਾਰਟ ਰਾਸ਼ਨ ਕਾਰਡ, ਮਗਨਰੇਗਾ ਸਕੀਮਾਂ ਅਤੇ ਵਨ ਸਟਾਪ ਸੈਂਟਰ (ਸਖੀ) ਆਦਿ ਲਈ ਫਾਰਮ ਵਗੈਰਾ ਆਦਿ ਭਰੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਸਰਕਾਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਨੁਸਾਰ ਲੰਬੀ ਬਲਾਕ 'ਚ ਹੁਣ ਤੱਕ 12 ਕੈਂਪ ਲੱਗ ਚੁੱਕੇ ਹਨ। ਤਿੰਨ-ਚਾਰ ਪਿੰਡਾਂ 'ਤੇ ਆਧਾਰਤ ਪ੍ਰਤੀ ਕੈਂਪ 'ਚ ਔਸਤਨ ਤਿੰਨ ਸੌ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ। ਜੇਕਰ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਤੋਂ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ ਤੀਹ ਰੁਪਏ ਦੀ ਫਾਰਮ ਵਸੂਲੀ ਮੁਤਾਬਕ 12 ਕੈਂਪਾਂ ਵਿੱਚ 36 ਸੌ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਤੋਂ 1.08 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਦੀ ਸੁਵਿਧਾ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਵਸੂਲੀ ਹੋ ਚੁੱਕੀ ਹੈ। ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਵੱਲੋਂ ਐਲਾਨੇ ਕੈਂਪਾਂ 'ਚ ਸਿਆਸੀ ਚਿਹਰਿਆਂ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ 'ਚ ਅਜਿਹਾ ਵਰਤਾਰਾ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸਾਖ਼ 'ਤੇ ਵੱਡੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਚਿੰਨ੍ਹ ਲਗਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਅੱਜ ਪਿੰਡ ਹਾਕੂਵਾਲਾ ਵਿਖੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੁਵਿਧਾ ਕੈਂਪ 'ਚ ਬੁਢਾਪਾ ਪੈਨਸ਼ਨ ਦਾ ਫਾਰਮ ਭਰਨ ਗਏ ਦਰਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਉਰਫ਼ ਵਕੀਲ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਸਰਕਾਰੀ ਸੁਵਿਧਾ ਕੈਂਪ 'ਚ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਅਤੇ ਫਾਰਮ ਬਦਲੇ ਤੀਹ ਰੁਪਏ ਵਸੂਲੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਉਸਦੇ ਮਨ ਨੂੰ ਡੂੰਘੀ ਠੇਸ ਪੁੱਜੀ।

ਉਸਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਬਾਜ਼ਾਰ 'ਚ ਫੋਟੋ ਇੱਕ ਰੁਪਏ ਵਿੱਚ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਜਦਕਿ ਕੈਂਪ 'ਚ ਪੰਜ ਗੁਣਾ ਫੀਸ ਵਸੂਲੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ। ਜਿਸਦੀ ਕੋਈ ਰਸੀਦ ਵੀ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ। ਪ੍ਰੀਤਮ ਸਿੰਘ ਨੰਬਰਦਾਰ ਨੇ ਇਹ ਫੀਸ ਲਗਪਗ ਹਰੇਕ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਤੋਂ ਲਈ ਗਈ। ਮੰਡੀ ਕਿੱਲਿਆਂਵਾਲੀ ਵਾਸੀ ਮਹਿੰਦਰ ਕੁਮਾਰ ਨੇ ਵੀ ਬੀਤੇ ਦਿਨ੍ਹੀਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੁਵਿਧਾ ਕੈਂਪ 'ਚ ਫਾਰਮ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਸਟੇਟ ਲਈ 25 ਰੁਪਏ ਤੋਂ 70 ਰੁਪਏ ਵਸੂਲੇ ਜਾਣ ਦੀ ਗੱਲ ਆਖੀ।


ਡੀ.ਸੀ. ਵੱਲੋਂ ਤੁਰੰਤ ਪੜਤਾਲ ਅਤੇ ਐਕਸ਼ਨ

ਮਾਮਲਾ ਧਿਆਨ 'ਚ ਲਿਆਉਣ 'ਤੇ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਵਿਨੀਤ ਕੁਮਾਰ ਨੇ ਤੁਰੰਤ ਐਕਸ਼ਨ ਲੈਂਦੇ ਪੜਤਾਲ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਮੀਡੀਆ ਨੂੰ ਪੱਖ ਭੇਜ ਕੇ ਦੱਸਿਆ ਪੰਚਾਇਤ ਸਕੱਤਰ ਅਨੁਸਾਰ ਕੈਂਪ 'ਚ ਪ੍ਰਾਈਵੇਟ ਵਿਅਕਤੀ ਅਰਜੀ ਫਾਰਮ ਭਰਨ ਲਈ 10 ਤੋਂ 20 ਰੁਪਏ ਵਸੂਲ ਰਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਫੋਟੋ ਕਾਪੀ ਲਈ ਪ੍ਰਤੀ ਪੰਨਾ 2 ਰੁਪਏ ਵਸੂਲ ਰਹੇ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਬੀ.ਡੀ.ਪੀ.ਓ ਨੂੰ ਅਗਾਮੀ ਕੈਂਪ 'ਚ ਇਸਨੂੰ ਰੋਕਣ ਅਤੇ ਸਵੈ-ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਫਾਰਮ ਭਰਨ ਲਈ ਫੋਟੋ ਕਾਪੀ ਮਸ਼ੀਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਦੀ ਤਾਕੀਦ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ। ਜ਼ਿਕਰਯੋਗ ਹੈ ਕਿ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਸਤਰ ਸਾਹਿਬ 'ਚ ਅਜਿਹਾ ਵਰਤਾਰਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅਧਿਕਾਰੀ ਨੇ ਤੁਰੰਤ ਐਕਸ਼ਨ ਨੂੰ ਮੀਡੀਆ ਨੂੰ ਵੱਟਸਐਪ ਸੁਨੇਹੇ ਰਾਹੀਂ ਪੱਖ ਭੇਜਿਆ ਹੋਵੇ।

28 July 2022

ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਬਰਸਾਤੀ ਖਰਾਬੇ ਦਾ ਜਾਇਜ਼ਾ ਲੈਣ ਅੱਜ ਲੰਬੀ ਹਲਕੇ 'ਚ ਪੁੱਜਣਗੇ, ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਗਲਤ ਬਣਤਰ ਵਾਲੇ ਸੇਮ ਨਾਲਿਆਂ ਦੇ ਹੱਲ ਬਾਰੇ ਵੱਡੀਆਂ ਉਮੀਦਾਂ


- ਮਹਿਰਾਜਵਾਲਾ ਡਰੇਨ ਦੇ ਮੁੜ ਸਰਵੇ ਦੀ ਮੰਗ ਉੱਠੀ

- ਖੇਤਾਂ 'ਚ ਪਾਣੀ ਨਿਕਾਸੀ ਲਈ ਸਰਕਾਰੀ ਮੱਦਦ ਸ਼ੁਰੂ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਦੋਸ਼


ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ ਸ਼ਾਂਤ

ਲੰਬੀ: ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਅੱਜ 28 ਜੁਲਾਈ ਨੂੰ ਹਲਕਾ ਲੰਬੀ ਦੇ ਸਰਾਵਾਂ ਜੈਲ 'ਚ ਮੀਂਹ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ 'ਚ ਡੁੱਬੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਏਕੜ ਫ਼ਸਲੀ ਰਕਬੇ ਦਾ ਦੁਖਾਂਤ ਅੱਖੀਂ ਵਾਚਣ ਲਈ ਪੁੱਜਣਗੇ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਮੀਂਹ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸੁਚੱਜੀ ਨਿਕਾਸੀ ਨਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨੁਕਸਾਨੇ ਗਏ ਪਿੰਡ ਪੰਨੀਵਾਲਾ ਅਤੇ ਮਿੱਡਾ ਦਾ ਬਾਅਦ ਦੁਪਿਹਰ 2:30 ਵਜੇ ਦੌਰਾ ਕਰਨਗੇ। ਇਸਦੇ ਉਪਰੰਤ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ ਜਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਪਿੰਡ ਮੂਲਿਆਂਵਾਲੀ ਵੀ ਖਰਾਬੇ ਦਾ ਜਾਇਜ਼ਾ ਲੈਣ ਜਾਣਗੇ। 

ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਬਣਨ ਮਗਰੋਂ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਦੀ ਬਾਦਲਾਂ ਦੇ ਗੜ੍ਹ ਰਹੇ ਹਲਕੇ ਲੰਬੀ 'ਚ ਪਹਿਲੀ ਫੇਰੀ ਤੋਂ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵੱਡੀਆਂ ਉਮੀਦਾਂ ਹਨ। ਇਸ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸੇਮ ਨਾਲਿਆਂ ਦੀ ਗਲਤ ਬਣਤਰ ਕਾਰਨ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਪਿੰਡਾਂ 'ਚ ਲਗਪਗ ਭਰਵੀਂ ਬਰਸਾਤ ਮੌਕੇ ਹੜ੍ਹਾਂ ਜਿਹੇ ਹਾਲਾਤ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਜਿਸਦੇ ਮੂਹਰੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ੀ ਉਪਰਾਲੇ ਵੀ ਨਾਕਾਫ਼ੀ ਸਾਬਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਵਾਰ ਵੀ ਮੌਨਸੂਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਬਰਸਾਤ ਨੇ ਸਮੁੱਚਾ ਇਲਾਕਾ ਜਲਥਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਮਿੱਡਾ ਦਾ ਰਕਬਾ ਨਿਵਾਣ 'ਚ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਸੌ ਫ਼ੀਸਦੀ ਰਕਬਾ ਪਾਣੀ 'ਚ ਡੁੱਬ ਗਿਆ। 

ਖੇਤਰ ਵਾਸੀਆਂ ਮੁਤਾਬਕ ਤਾਜ਼ਾ ਮੀਂਹਾਂ ਉਪਰੰਤ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨੀ ਉਪਰਾਲੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਮੁਤਾਬਕ ਕਾਰਗਰ ਸਾਬਤ ਨਹੀਂ ਹੋਏ। ਬੀਤੇ ਦਿਨ੍ਹੀਂ ਰਾਜਸਭਾ ਮੈਂਬਰ ਸੰਤ ਬਲਬੀਰ ਸਿੰਘ ਸੀਚੇਵਾਲ ਨੇ ਪਿੰਡ ਦੀ ਮਾੜੀ ਸਥਿਤੀ ਕਾਰਨ ਦੌਰਾ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਾਰਕੁੱਨ ਟੀਮ ਲਗਾਤਾਰ ਰਾਹਤ ਕਾਰਜਾਂ 'ਤੇ ਜੁਟੀ ਹੋਈ ਹੈ।

ਮਹਿਰਾਜਵਾਲਾ ਡਰੇਨ (ਸੇਮ ਨਾਲਾ) ਦੇ ਗਲਤ ਡੀਜਾਇਨ ਕਾਰਨ ਪਿੰਡ ਮਿੱਡਾ ਨਾਲ ਸਾਲ-ਦੋ ਸਾਲ ਮਗਰੋਂ ਜੱਗੋਂ ਤੇਰਵੀਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਪਿੰਡ ਮਿੱਡਾ ਦੇ ਕਿਸਾਨ ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ 1997 ਵਿੱਚ ਅਕਾਲੀ-ਭਾਜਪਾ ਸਰਕਾਰ ਸਮੇਂ ਸਿਆਸੀ ਦਬਾਅ ਕਾਰਨ ਤਰਖਾਣਵਾਲਾ ਤੋਂ ਉੜਾਂਗ ਨੂੰ ਬਣਨ ਵਾਲੀ ਡਰੇਨ ਨੂੰ ਵਾਇਆ ਮਿੱਡਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਗਿਆ। ਜੇਕਰ ਸਹੀ ਸਰਵੇ ਕਰਵਾ ਡਰੇਨ ਅਰਨੀਵਾਲਾ ਡਰੇਨ 'ਚ ਪਾਈ ਜਾਣੀ ਸੀ। ਜਿਸ ਨਾਲ ਮੀਂਹਾਂ ਸਮੇਂ ਇਹ ਖੇਤਰ ਬਰਸਾਤੀ ਖ਼ਰਾਬਿਆਂ ਤੋਂ ਬਚ ਜਾਣਾ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੇਮ ਨਾਲਿਆਂ ਦਾ ਮੁੜ ਸਰਵੇ ਕਰਵਾ ਮੁੜ ਤੋਂ ਸਹੀ ਲੇਬਲ ਨਾਲ ਬਣਾਉਣ ਮੰਗ ਕੀਤੀ। 

ਬਲਾਕ ਸੰਮਤੀ ਮੈਂਬਰ ਭਗਵੰਤ ਸਿੰਘ ਮਿੱਡਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਿੰਡ 'ਚ ਹੁਣ ਇੰਨੇ ਦਿਨਾਂ ਮਗਰੋਂ ਸੇਮ ਨਾਲੇ 'ਚ ਇੱਕ ਫੁੱਟ ਪਾਣੀ ਘਟਿਆ ਹੈ। ਜਦਕਿ ਖੇਤਾਂ 'ਚ ਸਥਿਤੀ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਹੀ ਹੈ। ਖੇਤਾਂ ਵਿੱਚ ਖੜ੍ਹੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਨਿਕਾਸੀ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਮੱਦਦ ਸ਼ੁਰੂ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕੀ। ਕਿਸਾਨ ਆਪਣੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਮੋਟਰ ਵਗੈਰਾ ਲਗਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਨਿਕਾਸੀ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਮੀਂਹਾਂ ਦੇ ਮਾਰੂ ਹਾਲਾਤਾਂ 'ਚ ਜਵਾਬਦੇਹੀ ਵਾਲੀ ਸਥਿਤੀ ਕਾਰਨ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦੀ ਫੇਰੀ ਪ੍ਰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਪੁਖਤਾ ਬਣਾਉਣ 'ਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਹੱਦੋਂ ਵੱਧ ਚੌਕਸੀ ਵਿਖਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਜ਼ਿਕਰਯੋਗ ਹੈ ਕਿ ਮੀਂਹਾਂ ਦੌਰਾਨ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਪਿੰਡਾਂ 'ਚ ਰਾਹਤ ਕਾਰਜਾਂ ਸਿਆਸੀ ਦਖ਼ਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਖਿਲਾਫ਼ ਪੀੜਤ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਅ ਖਾਤਰ ਸੜਕਾਂ 'ਤੇ ਉੱਤਰ ਕੇ ਰੋਹ ਜਤਾਉਣਾ ਪਿਆ। ਸੂਤਰਾਂ ਮੁਤਾਬਰਕ ਉਹ ਸਮੁੱਚੀਆਂ ਰਿਪੋਰਟਾਂ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦਫ਼ਤਰ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।