- बचपन में सरकारी स्कूल डबवाली के छात्र रहे थे,
- डबवाली में आढत का करोबार भी कारोबार किया
डबवाली: 89 साल की उम्र में स्वर्गवास हुए चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के आभा मंडल ने हरियाणा की राजनीति को करीब छ: दशकों तक प्रभावित् किया। हालांकि उन्होंने दसवीं व बाहरवीं कक्षा को जीवन ने अंतिम वर्षों में उत्तीर्ण किया। वे बचपन में डबवाली के सरकारी स्कूल के छात्र भी रहे। उन्होंने गजब की भाषण शैली, वाकपुटता से आम व खास जनमानस पर गहरी छाप छोडी। उनकी राजनीती किसानों, कमरे वर्ग के हकों व हितों को समर्पित रही। बहुत कम लोग जानते होंगे कि ओपी चौटाला ने राजनीति में प्रवेश से पूर्व युवा अवस्था के दौरान डबवाली की पुरानी अनाज मंडी में लाला हंसराज के साथ सांझेदारी में आढत का कारोबार किया था। जो कि वर्षों तक बाखूबी सफलता से चला। उन दिनों में उनकी रिहायश भी डबवाली में उसी दुकान के चौबारे में हुआ करती थी थी।
जीवन अडिगता के लहजे से रहा लबोलब
राजनीति के शिखर से लेकर मुश्किल समय तक में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का जीवन अडिगता के लहजे से लबोलब रहा। मानसिक व मनोबल के तौर पर जीते जी न कोई ‘बड़े’ चौटाला की डिगा सका, न कभी चौटाला किसी के समक्ष दबे। दस वर्ष की कानूनी सजा के बावजूद जनता में उनका निजी प्रभाव कायम रहा। ओम प्रकाश चौटाला का संघर्ष के बड़ा नजदीक से नाता रहा। पांच बार मुख्य मंत्री रहने के दौरान सियासी मुश्किलें ज्यादातर उनकी राह में अडचने डालती रहीं, परन्तु हर बार जननायक चौधरी देवी लाल के इस ज्येष्ठ सुपुत्र ने पूरी दृढ़ता व सूझबूझ से हर मुश्किल को सफलता से पार किया।
चौटाला के गहरे मित्रों में शुमार डा. गिरधारी लाल गर्ग बताते हैं
पूर्व मुख्य
मंत्री के गहरे मित्रों में शुमार होते डबवाली वासी डा. गिरधारी लाल गर्ग बताते हैं
कि चौटाला
साहिब को हमेशा बात के धनी, बेहतरीन मित्र,
उनकी दृढ़ निश्चयी व लौह-पुरुष के तौर पर जाना जायेगा। डा. गर्ग बताते हैं कि वह चौटाला
परिवार में बड़ी अंदरूनी जद्दोजहद के बाद चौधरी देवी लाल के राजनैतिक वारिस बन सके थे।
चौटाला पुत्रों में सियासी बिखराव के बाद चौटाला ने इनेलो को राजनीतिक तौर पर पुन:
खड़ा करने के लिए भी भरपूर प्रयास किये।
तेज थी याददाश्त, लोगों को नाम व चेहरे से याद रखते थे
तेज याददाश्त के चलते चौटाला साहिब का उनका लोगों से सीधा संपर्क बना रहा। उनके नजदीकि जानकारों के मुताबिक पूर्व मुख्य मंत्री को उनके संपर्क में आये हजारों लोगों के नाम व चेहरे तक याद रहते थे। लंबे समय बाद भी पुन: मिलने पर वे लोगों को उनके तक से पुकारा करते थे। शरीर को तंदरुस्त रखने वाला हल्का खान-पान व सादा जीवन-शैली ने उन्हें जीवन के अंतिम दिनों तक तंदरुस्त रखा।
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